सर्पराज ने प्रतिमा के ऊपर से एक चक्कर घूमने के बाद काफी देर तक प्रतिमा से लिपटे रहे, और फिर अपने आप ही वहां से चले गए। इसके बाद ग्रामवासियों ने मूर्ति को नदी में विसर्जित किया। ग्रामीणों ने इस घटना को गणेश भगवान की कृपा और चमत्कार माना है।
इस घटना के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि सर्पराज के प्रतिमा पर चढ़ने से पहले वहां एक अजीब सी शांति और सुगंध थी। जैसे ही सर्पराज प्रतिमा पर चढ़ा, वहां एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ। ग्रामीणों ने इसे भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद माना है।
यह घटना ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर और भी खास बना दिया है और लोगों की भक्ति और श्रद्धा को बढ़ावा दिया है। ग्रामीणों ने इस घटना को अपने जीवन का एक यादगार पल माना है और भगवान गणेश को धन्यवाद दिया है।